Friday 1 February 2013

चुप्प्प्पप्प्प तर्रक्की चालू है


चुप्प्प्पप्प्प्पप्प्पप तर्रक्की चालू है
निर्धारक को नियम बताते ,
जहां देखो वहाँ दांत लगाते ,
सोचो भैय्या मन कर के सोचो,
हो कैसे उद्धार
चुप्प्प्पप्प्प्पप्प्पप तर्रक्की चालू है
व्यवस्था अर्थ की अर्थहीन हो गई,
प्रजा जबरियन ग़मगीन हो गई
ओऐऐऐऐऐ चुप्प्प्पप्प्प् तर्रक्की चालू है
जी.डी.पी. पाछे रह गयो,
डी.एम.पी. घनो बढ़ गयो (डीएमपी = डेथ पर मिनट)
फरक कहवे को कोऊ नैंय्या
अरे बाबा चुप्प्प्पप्प्प्प तर्रक्की चालू है
बचो नैंय्या एक रूपप्या
खाइवे को कछु बचो ना भैय्या
चुप हो के भूखो तू मर जा
तर्रक्की में टांग अड़ा ना भय्या
सियासत के नियम समझ ले
गाल बजाना बंद अब तू कर दे
एक पते की बात तू सुन ले
बोलेगा तो टंग जाएगा
खरेरी खाट से बंध जाएगा
जोर नेकऊ लगा ना भय्या
चुप्प्प्पप्प्प तर्रक्की चालू है.

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